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पुत्रदा एकादशी, इस खास विधि से करें पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना | Putrada Ekadashi 2020 Puja Vidhi and Importance

Putrada Ekadashi 2020

Putrada Ekadashi 2020: पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति और संतान की समस्याओं के निवारण के लिए किया जाता है.

आज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति और संतान की समस्याओं के निवारण के लिए किया जाता है. आज पुत्रदा एकादशी का व्रत है. इस व्रत के नियमों का पालन करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है. साल में दो बार पुत्रदा एकादशी आती है, दूसरी पुत्रदा एकादशी का व्रत पौष माह में पड़ता है.

पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि आरंभ- 29 जुलाई की रात 01 बजकर 16 मिनट

एकादशी समाप्ति- 30 जुलाई को 11 बजकर 49 मिनट

पारण का समय- 31 जुलाई की सुबह 05 बजकर 42 मिनट से 08 बजकर 24 मिनट

पुत्रदा एकादशी पूजा विधि

इस दिन सुबह उठकर स्नान कर नए वस्त्र धारण करे और पूजाघर में श्री हरि विष्णु को प्रणाम करके उनके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें, इसके बाद व्रत का संकल्प करें. धूप-दीप दिखाएं और विधिवत विष्णु जी की पूजा करें, फलों, नैवेद्य से भोग लगाएं और अंत में आरती उतारें. विष्णु जी को तुलसी प्रिय हैं, इसलिए उनकी पूजा में तुलसी का प्रयोग अवश्य करें. शाम के समय कथा पढ़े या सुनें.

पुत्रदा एकादशी का महत्व

जन्म और मृत्यु के समय में किये जाने वाले संस्कारों का हिन्दु धर्म में अत्यधिक महत्व है. हिन्दु धर्म में मृत्यु के समय कुछ महत्वपूर्ण संस्कार निर्धारित है जो केवल पुत्र द्वारा ही किये जाते हैं. पुत्र के द्वारा किये जाने वाले अन्तिम संस्कारों से ही माता-पिता की आत्मा को मुक्ति मिलती है. माता-पिता की मृत्यु के बाद श्राद्ध की नियमित क्रियायें भी पुत्र द्वारा ही सम्पादित की जाती है. ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध करने से मृतक की आत्मा को तृप्ति मिलती है. जिन दम्पत्तियों को जीवन में पुत्र सुख की प्राप्ति नहीं होती वो अत्यधिक परेशान रहते हैं. पुत्र सुख की प्राप्ति के लिए पुत्र एकादशी का व्रत रखा जाता है. जिन दम्पत्तियों को कोई पुत्र नहीं होता उनके लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण है.

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