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India-China Border: अब भारत का बॉर्डर पार करना चीन के लिए मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है, जानिए कैसे

India-China Border: अब भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश से लगे चीन के सीमाई इलाकों में खुद को मजबूत किया है, इस वजह से अब देश का बॉर्डर पार करना चीन के लिए मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है, जानिए कैसे.

India-China Border

अरुणाचल प्रदेश से सटे इलाके से चीन घुसपैठ की कोशिश करता रहता है, लेकिन अब चीन को भारत की सीमा में घुसने की बात मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है. भारतीय सेना ने अब चीन से लगी सीमाओं पर अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी है. चीन से सटी अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) की सीमा में पहली बार एविएशन ब्रिगेड को तैनात किया है. इस ब्रिगेड में अटैक हेलीकॉप्टर (Attack Helicopter) शामिल किए गए हैं, जो तेजी से सैनिकों को लाइन ऑफ कंट्रोल (LAC) तक पहुंचाने के लिए काफी हैं. इनमें चिनूक (Chinook) और मि 17 जैसे बड़े परिवहन हेलीकॉप्टर भी शामिल किए गए हैं और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण सीमा की निगरानी के लिए ड्रोन (Drone) भी शामिल किए गए हैं.

खराब मौसम की वजह से होती थी परेशानी

जी न्यूज की खबर के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश जैसे पहाड़, घाटियों और घने जंगलों के इलाकों में सबसे ज्यादा काम हेलीकॉप्टर आते हैं. यहां हेलीकॉप्टर्स सैनिकों को लाने-ले जाने, रसद और गोला-बारूद पहुंचाने और सबसे ज्यादा बीमार या घायल सैनिकों को मदद करने के काम आते हैं. क्योंकि इन इलाकों में तेजी से बिगड़ने वाला मौसम बहुत बड़ी समस्या है और खराब मौसम में घाटियों को पार करना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए यहां पर हेलीकॉप्टर और उसके पायलट दोनों की ही कड़ी परीक्षा होती है.

ऐसे में इन इलाकों में तेजी से हमला करने के लिए अटैक हेलीकॉप्टर काम आते हैं. असम के मिसामारी में भारतीय सेना का सबसे बड़ा एविएशन बेस है जहां से दिन-रात ये सभी लाइन ऑफ कंट्रोल की तरफ उड़ान भरते रहते हैं.

तवांग में भारतीय सेना ने खुद को किया मजबूत

एलएसी के पास सबसे बड़ा शहर तवांग है जिसपर चीन की हमेशा से नजर रहती है. बता दें कि 1962 के युद्ध में चीन ने तवांग पर कब्जा कर लिया था, उसके बाद से ही भारतीय सेना ने इस पूरे इलाके में अपने आपको लगातार मजबूत किया है और आपको ये जानकर अच्छा लगेगा कि यहां मोर्चा संभालने के लिए अब स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर रुद्र तैनात किया गया है जो दुश्मन के टैंक या किसी बड़े फौजी ठिकाने को तबाह करने के लिए बहुत कारगर है.

सेना को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है

जी न्यूज की खबरों के मुताबिक आप जैसे-जैसे अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल की तरफ बढ़ते हैं समझ में आने लगता है कि यहां की चुनौतियां क्या हैं? मानसून में तेज बारिश और सर्दियों में बर्फबारी सड़कों को चालू रखने में सबसे बड़ी मुश्किल पैदा करते हैं. पहले तवांग तक पहुंचने का केवल एक रास्ता था लेकिन कुछ साल पहले तवांग के लिए एक और रास्ता तैयार कर लिया गया है.

चीन को जवाब देने के लिए अब सैनिक पहाड़ पर लड़ाई के गुर सीख रहे हैं

भारतीय सेना की एक डिवीजन के हेडक्वार्टर में सैनिक अब पहाड़ की लड़ाई के गुर सीख रहे हैं. एक भारतीय डिवीजन के हेडक्वार्टर में ही कोर एरोस्पेस कमांड सेंटर है जहां इस इलाके के लिए बनाई गई पहली एविएशन ब्रिगेड दिन-रात दुश्मन और अपने दोनों ही देश के सैनिकों पर नजर रखती है. यहां से किसी भी अटैक हेलीकॉप्टर, सैनिकों को ले जा रहे हेलीकॉप्टर और ड्रोन की उड़ान को नियंत्रित किया जाता है. ड्रोन या रोमटली पायलटेड एयरक्राफ्ट आसमान से हर तरफ नजर रखते हैं और लगातार इस कंट्रोल रूम तक तस्वीरें भेजते रहते हैं.

बेहतरीन ड्रोन शामिल किए जाएंगे

भारतीय सेना इस समय हेरोन मार्क 1 ड्रोन का इस्तेमाल करती है जो 200-250 किलोमीटर दूर तक नजर रखता है. योजना ज्यादा बेहतर ड्रोन शामिल करने की है और जल्द ही यहां ऐसे ड्रोन तैनात होंगे जो सैटेलाइट के जरिए नियंत्रित किए जाएंगे. ये ज्यादा दूर तक नजर रख पाएंगे और ज्यादा सटीक खबर भी दे पाएंगे.

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