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Online कैसे चेक करें — प्रॉपर्टी के पेपर असली हैं या नकली? | Online Property Verification Guide

Online कैसे चेक करें प्रॉपर्टी के पेपर असली हैं या नकली? जानिए पूरा तरीका

Online Property Verification : घर बैठे 5 आसान और भरोसेमंद तरीकों से जानें कि प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट असली हैं या नकली — रजिस्ट्री वेरिफाई, एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट, ROR/7-12, ई-स्टाम्प वेरिफिकेशन, RERA और चोरी/लोन चेकलिस्ट। स्टेट पोर्टल्स और प्रोफेशनल वेरिफिकेशन के लिंक भी दिए गए।

Online Property Verification Guide
Online Property Verification Guide

प्रॉपर्टी खरीदना ज़िन्दगी का बड़ा फैसला है — और जाली कागज़ मिलने पर नुकसान भी बड़ा होता है। अच्छी खबर: अब ज़्यादातर राज्यों ने ज़मीन/रजिस्ट्री रिकॉर्ड डिजिटल कर दिए हैं, इसलिए आप घर बैठे ऑनलाइन पता कर सकते हैं कि रजिस्ट्री या सेल-डीड असली है या नकली। नीचे सरल, भरोसेमंद और क्रमबद्ध तरीके दिए जा रहे हैं।

ऑनलाइन रजिस्ट्री चेक करने का आसान तरीका

हर राज्य का अपना आधिकारिक पोर्टल होता है, जहां प्रॉपर्टी के दस्तावेज चेक किए जा सकते हैं. मान लीजिए उत्तर प्रदेश में कोई भी व्यक्ति [www.igrsup.gov.in](http://www.igrsup.gov.in) वेबसाइट पर जाकर अपनी रजिस्ट्री की डिटेल देख सकता है. वेबसाइट पर ‘रजिस्ट्री सर्च’ या ‘प्रॉपर्टी डिटेल्स’ सेक्शन में जाकर आपको कुछ बेसिक जानकारी भरनी होती है, जैसे रजिस्ट्री नंबर, जिला, प्लॉट नंबर, मालिक का नाम और रजिस्ट्री की तारीख. यह जानकारी भरते ही कुछ ही सेकंड में आपके सामने आपकी रजिस्ट्री का पूरा रिकॉर्ड स्क्रीन पर दिखाई देने लगता है. इससे आपका समय बचता है और धोखेबाजों को पकड़ना भी आसान हो जाता है.

वेबसाइट पर क्या-क्या जानकारी भरनी होती है?

ऑनलाइन मिलने वाली डिटेल्स में मालिक का नाम, रजिस्ट्रेशन की तारीख, स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रार ऑफिस का नाम और अन्य जरूरी जानकारी दी होती है. अब आपको सिर्फ अपनी फिजिकल रजिस्ट्री को ऑनलाइन मिली जानकारी से मिलान करना होता है. अगर दोनों रिकॉर्ड बिल्कुल मेल खाते हैं तो आपका दस्तावेज असली है. आप उस जानकारी को डाउनलोड कर सकते हैं या उसका प्रिंटआउट भी निकाल सकते हैं. लेकिन अगर स्क्रीन पर “रिकॉर्ड नॉट फाउंड’’ या “इनवैलिड एंट्री’’ जैसे मैसेज आए, तो तुरंत सावधान हो जाएं. ऐसी स्थिति में आपकी रजिस्ट्री अधूरी हो सकती है या फर्जी भी हो सकती है. ऐसे मामलों में आपको सीधे सब-रजिस्ट्रार ऑफिस जाकर रजिस्ट्री बुक में एंट्री की जांच करवानी चाहिए. वहां हल्की सी वेरिफिकेशन फीस लगती है जो 50 से 200 रुपये के बीच होती है.

जल्दी से — 5 सीक्रेट स्टेप, तो कभी नहीं होंगे धोखाधड़ी के शिकार

  1. State Registration/Stamp & Registration पोर्टल पर Registry Search करें (रजिस्ट्री नंबर/दिनांक डालिए)।
  2. Encumbrance Certificate (EC) चेक करें — क्या किसी लोन/लीन/अदालत का केस तो नहीं? EC सबसे अहम दस्तावेज़ है।
  3. Land Records / ROR / 7/12 / Satbara / Bhulekh देखें — मालिकाना (title) विवरण और mutation रिकार्ड मिलेंगे। हर राज्य का अलग पोर्टल होता है।
  4. E-stamp और Registered Document digital copy वेरिफाई करें — राज्य के IGR पोर्टल पर देखें कि वही रजिस्ट्री नंबर/पार्टी नाम match करते हैं या नहीं।
  5. अंतिम चेक: RERA (अगर फ्लैट), Property Tax, और प्रॉफेशनल वेरिफिकेशन (वकील/अनुभवी एजेंट या ऑनलाइन वेरिफिकेशन सर्विस)।

डीटेल्ड स्टेप-बाय-स्टेप गाइड

1) रजिस्ट्री (Registry Search) ऑनलाइन कैसे देखें

  • अपने राज्य के Stamp & Registration / Sub-Registrar पोर्टल पर जाएँ (उदाहरण: उत्तर प्रदेश — igrsup.gov.in; महाराष्ट्र — igrmaharashtra.gov.in)। पोर्टल में अक्सर “Search Registered Documents / Registry Search / Property Details” सेक्शन होता है। वहां रजिस्ट्री नंबर, रजिस्ट्रेशन वर्ष, पक्षकार (seller/buyer) के नाम या सुमन/प्लॉट नंबर डालकर वेरिफाई कर लें। अगर पोर्टल पर वही रजिस्ट्री मैच करती है — तो पहली मजबूत पुष्टि हो जाती है।

2) Encumbrance Certificate (EC) — क्यों और कैसे

  • क्यों: EC बताता है कि प्रॉपर्टी पर कोई भी बैंक लोन, लीगल क्लेम या रिकॉर्डेड ट्रांज़ैक्शन तो नहीं है। खरीदते समय EC जरूर देखें — कम से कम पिछले 13–30 साल का पीरियड लें।
  • कैसे: स्टेट रजिस्ट्री/रेवेन्यू पोर्टल या Sub-Registrar की EC सर्विस में जाकर प्रॉपर्टी डिटेल्स भरें और EC डाउनलोड करें। EC पर दर्ज नाम/प्रवेश/रजिस्ट्रेशन नंबर को विक्रेता के दिए कागज़ से मैच करें। अगर EC में किसी अनजान लोन/लीन का रिकॉर्ड है — रेड फ्लैग।

3) Land Records / ROR / 7/12 / Satbara चेक करना

  • हर राज्य के रेवेन्यू पोर्टल पर ROR / 7-12 / RTC / Bhulekh / Mahabhulekh / BhuNaksha जैसे रिकॉर्ड होते हैं। इनमें मालिक का नाम, खेती/नॉन-फार्म लैंड का दर्जा, खतियानी/खसरा नंबर, और mutation-history मिलती है। विक्रेता का नाम और खसरा/खतौनी नंबर येँ पर मिलाकर देखें।

4) E-Stamp / Registered Document Digital Copy मिलती है क्या?

कई राज्यों में रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट की डिजिटल-कॉपी (digitally certified copy) मिलती है — इसे डाउनलोड करके दस्तख़त, स्टाम्प डिटेल, रजिस्ट्री नंबर और तारीख मिलान करें। अगर विक्रेता आपको केवल भौतिक कॉपी देता है पर डिजिटल रिकॉर्ड पर कुछ और दिखता है — सावधान रहें।

5) प्रॉपर्टी-टैक्स और कम्युनल रिकॉर्ड

  • नगर निगम/पंचायत के Property Tax रिकॉर्ड देखें — भुगतान का रिकॉर्ड, बकाया आदि। बकाया टैक्स भी रेड फ्लैग हो सकता है। (MCD/पंचायत पोर्टल्स पर ऑनलाइन चेक)।

6) RERA ( Flats / Apartments )

  • अगर आप फ्लैट खरीद रहे हैं, तो RERA पोर्टल पर प्रोजेक्ट/डिवेलपर का रजिस्ट्रेशन और यूनिट-लेवल विवरण चेक करें। बिना RERA रजिस्ट्रेशन के प्रोजेक्ट से सावधान रहें।

7) टाइटल-चेन (Title Chain) — सेल-डीड का चेन चेक करें

  • विक्रेता बताए जो पिछले सेल-डीड (sale deeds) हैं — उनकी नकलें (registered copies) निकालकर देखें कि टाइटल-चेन स्पष्ट है या नहीं। अगर बीच में किसी ट्रांसफर का रिकॉर्ड नहीं मिलता — शंका रखें। आप स्टेट रजिस्ट्री पोर्टल या Sub-Registrar ऑफिस से digital copies निकलवा सकते हैं।

8) पहचान (KYC) और दस्तावेज़ मिलान

  • विक्रेता का Aadhaar, PAN, राशन/मतदाता, और बैंक-पेज पर नाम मिलान करिए। कई बार ठग किसी मृतक/अन्य का कागज़ इस्तेमाल कर देते हैं — KYC से मिलान अनिवार्य है। यदि विक्रेता पेशेवर एजेंट है तो उसके लाइसेंस/पहचान की भी जाँच करें।

9) कोर्ट केस/लिगेसी (Legal) चेक

  • EC और रजिस्ट्री के साथ-साथ स्थानीय कोर्ट/पेन्डिंग लिटिगेशन की जाँच करें। कुछ केस ऑनलाइन मिल जाते हैं; बड़े जोखिम के लिए वकील से Title search करवाएँ। ऑनलाइन वेरिफिकेशन सर्विस या वकील का short title-search कराना सस्ता बीमा है।

आसान चेकलिस्ट

  • स्टेट रजिस्ट्री पोर्टल पर Registry Search — रजिस्ट्री नंबर मैच?
  • EC (Encumbrance Certificate) — पिछले 13/30 वर्षों का रिकॉर्ड साफ़?
  • ROR / 7-12 / Bhulekh / Satbara — नाम, खसरा/खतौनी मिलते हैं?
  • Digitally Certified Registered Copy / e-stamp match करती है?
  • विक्रेता की KYC (Aadhaar/PAN) मैच?
  • Property Tax dues चेक किये?
  • RERA (यदि अपार्टमेंट) चेक किया?
  • Title chain (past sale deeds) और किसी लोन का रिकॉर्ड नहीं?
  • वकील/पेशेवर से final legal search करवा लिया?

रेड-फ्लैग्स (समय रहते ध्यान देने योग्य)

  • रजिस्ट्री पोर्टल पर रजिस्ट्री नंबर नहीं मिलता या मिलती जानकारी विक्रेता की दी हुई कापियों से अलग है।
  • EC में लोन/लीन लिखा है।
  • मालिक का नाम बार-बार बदलता दिख रहा है (अचानक बहुत सारे ट्रांजैक्शन्स)।
  • विक्रेता दस्तावेज देने में झिझक या बार-बार कहता है “फिजिकल कागज़ बाद में दे दूँगा”।
  • प्रॉपर्टी-टैक्स में बकाया।
  • दस्तावेज़ पर कट-छाँट, रंगत/मैन्युअल बदलाव दिखना।

जब ऑनलाइन मिल न पाये — क्या करें?

  • जिला Sub-Registrar ऑफिस जाकर Original Registered Document की certified copy निकालवाएँ।
  • नामी वकील/Title search professional से टाइटल रिपोर्ट बनवाएँ।
  • बड़े सौदे में बैंक की NOC और Encumbrance-based loan clearance ज़रूर लें।
  • अगर शक पक्का लगे तो पुलिस/कानूनी नोटिस का विकल्प रखें।

FAQ — अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Structured)

Q1: क्या रजिस्ट्री पोर्टल पर कुछ न दिखे तो उसका मतलब नकली है?

ज़रूरी नहीं — कभी-कभी पोर्टल में अपडेट delay होता है या डॉक्यूमेंट पुराना (offline register) हो सकता है। ऐसे में Sub-Registrar से certified copy निकालें।

Q2: EC कहाँ से डाउनलोड करें और कितना पुराना लें?

राज्य रजिस्ट्री/रिवेन्यू पोर्टल से EC डाउनलोड करें। कम से कम पिछ्ले 13–30 साल का रिकॉर्ड देखें (सिचुएशन पर निर्भर)।

Q3: क्या सिर्फ ऑनलाइन चेक पर भरोसा कर लिया जाए?

ऑनलाइन चेक बहुत मददगार है, पर बड़ी खरीद-फरोख्त में वकील से title search कराना सुरक्षित रहता है।

Q4: फ्लैट खरीदते समय सबसे पहले क्या देखें?

RERA रजिस्ट्रेशन, बिक्री/अनुबंध की रजिस्ट्री, EC, और बिल्डर के सर्वे/अनुमतियाँ देखें।

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