You are Here :
Home »
Ajab Gajab News »
Maha Shivaratri Puja Vidhi | Pooja Vidhi on Shivaratri | महाशिवरात्रि पूजा विधि
Maha Shivaratri Puja Vidhi - Pooja Vidhi on Shivaratri - महाशिवरात्रि पूजा विधि
Maha Shivaratri Puja Vidhi - Pooja Vidhi on Shivaratri In Hindi
महाशिवरात्रि [maha shviratri ki puja] हम हिन्दुओ का एक प्रमुख त्यौहार है, और महादेव शिव तथा उनके भक्तो का प्रिय पर्व भी. पुराणों के अनुसार महादेव शिव इसी दिन ब्रह्मा जी से रूद्र के रूप में अवतरित हुए थे. इसके साथ प्रलय के समय भी भगवान शिव इसी दिन तांडव नृत्य करते थे और अपने तीसरे आँख से प्रलय लाते थे.
महाशिवरात्रि पूजा सामग्री - Maha Shivratri Puja Samagri
सुगंधित पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा, भाँग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, पंच फल पंच मेवा, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, शिव व माँ पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, वस्त्राभूषण रत्न, सोना, चाँदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन आदि।
Mahashivratri Puja Vidhi - महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि भगवान शंकर का सबसे पवित्र दिन है। इस दिन महाशिव का पूजन तथा स्तुति करने से सब पापों का नाश हो जाता है। तथा मनुष्य के जीवन को नयी दिशा मिल जाती है | Read: mahashivratri puja vidhi in hindi
- महाशिवरात्रि के दिन मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर, ऊपर से बिल्वपत्र, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है तथा उनका पूजन किया जाता है |
- अगर नजदीक में शिवालय या शिवमंदिर न हो तो घर पर ही शुद्ध गीली मिट्टी से ही शिवलिंग बनाकर उसका विधि पूर्वक पूजन करना उत्तम माना गया है |
- इस दिन सुबह प्रात:काल में ही नित्य-कर्मों से निवृत होकर भगवान शिव कि आराधना “ऊं नमः शिवाय” मंत्र से सुरु करते हुए पूरे दिन इसी मंत्र का बारम्बार जाप करते रहना चाहिए | इस मंत्र में वह शक्ति है जो किसी अन्य मंत्र में नहीं है, अत: श्रृद्धालुओं को चाहिए कि वह शिव पूजन करते समय अधिकाधिक इस मंत्र का जाप करें तथा भगवान भोलेनाथ कि कृपानुभूति प्राप्त करें | तथा इस दिन शिवमहापुराण और रुद्राष्टकम आदि का पाठ अति उत्तम माना जाता है |
- रात्रि के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए और अगले दिन प्रात: काल ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।
समर्थजनों को यह व्रत प्रातः काल से चतुर्दशी तिथि रहते रात्रि पर्यन्त तक करना चाहिए। रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करनी चाहिए। इस विधि से किए गए व्रत से जागरण पूजा उपवास तीनों पुण्य कर्मों का एक साथ पालन हो जाता है और भगवान शिव की विशेष अनुकम्पा प्राप्त होती है।
इससे व्यक्ति जन्मांतर के पापों से मुक्त होता है। इस लोक में सुख भोगकर व्यक्ति अन्त में शिव सायुज्य को प्राप्त करता है। जीवन पर्यन्त इस विधि से श्रद्धा विश्वास पूर्वक व्रत का आचरण करने से भगवान शिव की कृपा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जो लोक इस विधि से व्रत करने में असमर्थ हों वे रात्रि के आरंभ में तथा अर्द्धरात्रि में भगवान शिव का पूजन करके व्रत पूर्ण कर सकते हैं।
Tags:
maha shivaratri puja vidhi
pooja vidhi on shivaratri
mahashivratri puja vidhi
mahashivratri puja vidhi in hindi
महाशिवरात्रि पूजा विधि
maha shivratri ki puja
shivratri puja vidhi
maha shivratri
shivaratri
mahashivaratri
puja vidhi
Published: फ़रवरी 22, 2017 12:00 PM IST | Updated: फ़रवरी 09, 2018 07:00 PM IST
अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें.
For latest news and analysis in English, follow Welcomenri.com on Facebook.