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Karwa Chauth 2021: रविवार के दिन रखा जाएगा करवा चौथ का व्रत, इस तरह आप भी पा सकती हैं सूर्यदेव की विशेष कृपा

Karwa Chauth 2021: करवा चौथ का पावन व्रत हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है....

Karwa Chauth 2021 special

Karwa Chauth 2021: करवा चौथ हिंदूओं का विशेष त्योहार माना जाता है. इस साल करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. करवा चौथ का व्रत निर्जल रखा जाता है. इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. इसके अलावा भगवान गणेश और कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा भी की जाती है. करवा चौथ का पावन व्रत हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है.

खास होगा इस बार का करवा चौथ

इस साल का करवा चौथ कई मायनों में खास होने वाला है. इस बार करवा चौथ रोहिणी नक्षत्र में होने की वजह से व्रती महिलाओं को सूर्यदेव का असीम आशीर्वाद प्राप्त होगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस व्रत में खास संयोग बन रहा है. रविवार को सूर्य का प्रभाव ज्यादा होता है. सूर्य देव आरोग्य और दीर्घायु के प्रतीक हैं.

सूर्यदेव (Suryadev) की रहेगी विशेष कृपा

रविवार के दिन करवा चौथ का व्रत रखा जायेगा. इससे व्रती को भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होगी. धार्मिक मान्यता है कि सूर्य की कृपा से भक्त को दीर्घायु की प्रति होती है और वह आरोग्यता को प्राप्त करता है. करवा चौथ व्रत भी दीर्घायु के लिए रखा जाता है. ऐसे में रविवार के दिन करवा चौथ व्रत का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है.

करवा चौथ कथा-

प्राचीन समय में करवा नाम की एक स्त्री अपने पति के साथ एक गांव में रहती थी. उसका पति नदी में स्नान करने गया. नदी में नहाते समय एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया. उसने पत्नी को सहायता के लिए पुकारा.

करवा भागकर अपने पति के पास पहुंची और तत्काल धागे से मगरमच्छ को बांध दिया. उसका सिरा पकड़कर करवा पति के साथ यमराज के पास तक पहुंच गई. यमराज के साथ प्रश्न उत्तर के बाद करवा के साहस को देखते हुए यमराज को उसके पति को वापस करना पड़ा.

जाते समय उन्होंने करवा को सुख-समृद्धि के साथ वर भी दिया- ‘जो स्त्री इस दिन व्रत करके करवा को याद करेगी, उनके सौभाग्य की मैं रक्षा करूंगा.’ इस कथा में करवा ने अपने सशक्त मनोबल से अपने पति के प्राणों की रक्षा की. मान्यता है कि जिस दिन करवा ने अपने पति के प्राण बचाए थे, उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी थी.

व्रत रखने का अर्थ ही है संकल्प लेना. वह संकल्प चाहे पति की रक्षा का हो, परिवार के कष्टों को दूर करने का या कोई और. यह संकल्प वही ले सकता है, जिसकी इच्छा शक्ति मजबूत हो. प्रतीकात्मक रूप में करवा चौथ पर महिलाएं अन्न-जल त्याग कर यह संकल्प लेती हैं और अपनी इच्छा शक्ति की परख करती हैं. यह पर्व संकेत देता है कि स्त्री अबला नहीं, बल्कि सबला है और वह भी अपने परिवार को बुरे वक्त से उबार सकती है.

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