आंतरिक वास्तु एवं साज-सज्जा | Interior Architecture And Decoration By Vastu Shastra.
वास्तु संबंधी विद्या का उपयोग जितना बाहरी निर्माण में किया गया है, उतना ही उपयोग आंतरिक साज-सज्जा के लिए विदेशों में किया जाता है। अपितु यह कहा जा सकता है कि आजकल आंतरिक साज-सज्जा को सर्वाधिक महत्व दिया जा रहा है। बिना तोड़-फोड़ के मकान, व्यावसायिक भवनों को भाग्यवर्धक एवं अनुकूल बनाने में आंतरिक वास्तु, दीवारों के रंग-रोगन एवं साज-सज्जा पर विशेष ध्यान दिया जाना। सबसे ज्यादा जरूरी है।
चीन,सिंगापुर,हांग-कांग, बैंकॉक एवं मध्य एशिया में मुख्य द्वार पर, बैठक में एवं व्यापारिक संस्थान के परामर्श कक्ष में इस प्रकार के शेर एवं डरावने जानवरों के चित्र लगे होते है, जिसका अभिप्राय होता है घर, होटल एवं व्यवसाय स्थल में बुरी आत्माओं के प्रवेश पर रोक। ऐसी मान्यता है कि ऐसे स्थलों पर ऐसे चित्र लगाने से बुरी आत्माएं, गंदी हवाएं प्रवेश नहीं कर पाती।
अनेक पाठकों के पत्र आते है कि इस महंगाई के युग में कोई ऐसी तरकीब बताएं कि बिना विशेष तोड़-फोड़ के, हमारा कार्यालय और उद्योग सही हो जाएं। ऐसे उपायोें का जिक्र ‘संपूर्ण वास्तु शास्त्र‘ नामक पुस्तक के पृष्ठ 106 में किया गया। इससे सैकड़ों लोगों को लाभ हुआ। अब प्रबुद्ध पाठकों की जानकारी हेतु यहां कुछ अनछुए विषयों पर सामग्री दी जा रही है।
» आंतरिक वास्तु के संदर्भ में चीनि आकृतियां (Chinese figures in terms of interior architecture)
चीन में ड्रैगन (Dragon) की आकृति को शुभ मानते है क्योंकि वह बहुत ही खतरनाक एवं रहस्यमय शक्तियों का स्वामी होता है। वहां मान्यता है कि डैªगन की उपासना से अन्य अशुभ आत्माएं उन्हें तंग नहीं कर पाती। चित्र अ में दर्शाया गया चिमेरा (Chimera) का यह चिन्ह पौराणिक है। चीनी मान्यता के अनुसार यह जानवर चिमेरा, शक्ति, प्रभुत्व और ताक का द्योतक है। यह चिन्ह प्रायः चादर, तकियों, पर्दों और पूजा गृहों के वस्त्रों पर उकेर कर बनाया जाता है।
चित्र ब में प्रदर्शित उड़नशील पक्षी फीनेक्स (Phoenix) का यह चित्र बुद्धि वैभव और विलास का प्रतीक है। इसका चित्र भी छत, पर्दे, चादर एवं बैठक की दीवारों पर बनाया जाता है।
चित्र स में प्रदर्शित उछलते हुए हिरण की आकृति भाग्य, धन एवं सुअवसर की प्राप्ति का प्रतीक चिन्ह है। ऐसी आकृति लकड़ी के तख्तों पर उकेर कर दीवार और दरवाजों पर विशेष रूप से लगायी जाती है।