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वास्तु शास्त्र टिप्स | Special Vaastu Shastra Tips For Your Home in Hindi.
पांच तत्वों का विवेचन | Description of Five Elements.
जल (Water)
पृथ्वी पर जल एक महत्वपूर्ण तत्व है। जल से ही जीवन है। प्राणी हो, या वनस्पतियां, कोई भी जल के बिना जीवित नहीं रह सकते। पर्यावरण की गर्म वायु ठंडी होकर तरल रूप में परिणत हो जाती है और निस्संदेह उसी से बादल बनते है और इन बादलों से जल मिलता है, वर्षा होती है, जिसेस नदियों, झीलों तथा समुद्र में जल संचित होता है। जल में भी एक अंश आॅक्सीजन (प्राण वायु) का होता है। जल ठंडा हो कर ठोस रूप लेता है और बर्फ बनती है। जल का गर्म (तेजस) रूप वाष्प बनती है जो गैस (वायु) का रूप ले लेती है। यद्यपि अग्नि तथा जल दो परस्पर विरोधी तत्व है, तथापि जल उबालने पर (अग्नि का संयोग पा कर) वह शुद्ध हो जाता है। शुद्ध जल के कई सात्विक गुण है। कोई भी संकल्प करते समय जल और अग्नि को साक्षी (गवाह) बनाते है। जल हमारे जीवन में नव चैतन्य का संचार करता है। ‘शब्द, स्पर्श और रूप‘ के अतिरिक्त जल में रस (स्वाद) रूपी तत्व है। यह (रस) एक महत्वपूर्ण लक्षण है। पृथ्वी का, जल और भूमि के रूप में, उचित विभाजन हुआ है। जिस दिन यह समीकरण परिवर्तित होगा, अर्थात् पानी की मात्रा बढ़ जाएगी, संपूर्ण भूमि जल मग्न हो जाएगी और विश्व का विनाश हो जाएगा। सहस्रों वर्षों के पश्चात् सूर्य पर उपद्रव (टकराव) घटित होते है। उस कारण प्रचंड गर्मी पड़ती है। सभी बर्फाच्छादित पर्वत पिघल जाते हैं और घनघोर वर्षा होती है। भयंकर बाढ़ से सर्वस्व नष्ट हो जाता है। इसी महाजल से पुनः वाष्प बनती है और पृथ्वी पुनः दृष्टिगोचर होती है तथा पुनः नयी जीव सृष्टि होती है।
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