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« Home   वास्तु शास्त्र टिप्स | Special Vaastu Shastra Tips For Your Home in Hindi.

वास्तु शास्त्र के अनुसार आप के लिए विविध सुझाव | Miscellaneous tips for you by vastu shastra.

» पूर्व दिशा में पढ़ना

इन दिनों माता-पिता को यही चिंता सताती रहती है कि उन के बच्चे पढ़ाई में ज्यादा ध्यान नहीं लगाते। ऐसे विद्यार्थियों के लिए पढ़ने की मेज दक्षिण-पश्चिम एवं पश्चिम के बीच में रखनी चाहिए। यदि वह व्यवस्था संभव न हो तो पढ़ाई की मेज रखने के लिए अन्य उपयुक्त क्षेत्र है - उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व एवं दक्षिण। यदि बच्चे अपनी किताबों पर ध्यान नहीं देते है और बार-बार उनका ध्यान भटकता है तो उन्हें पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके पढ़ना चाहिए।

जबकि सच यह है कि किसी भी क्षेत्र की पढ़ाई के लिए कोई एक निश्चित दिशा नहीं है। सबसे उचित दिशा पढ़ने वाले विषय पर निर्भर करती है उदाहरणस्वरूप, गणित और विज्ञान में निपुणता हासिल करने के लिए विद्यार्थियों को पश्चिम की तरफ मुँह करके पढ़ना चाहिए। यदि कोई दक्षिण की तरफ मुख करके पढ़ता है तो वह स्वयं में वाद-विवाद की दक्षता, तार्किक क्षमता और तीक्ष्ण व्यापारिक सूझ बूझ पैदा कर सकता है रचनात्मक और धार्मिक कार्यों के लिए किसी को भी पूर्व दिशा की ओर मुँह करके पढ़ना चाहिए।

» रसोई और शौचालय निश्चित दिशा

वास्तु के अनुसार रसोईघर के लिए सर्वोत्तम क्षेत्र दक्षिण पूर्व है महावास्तु के अनुसार अन्य जिन क्षेत्रों में रसोईघर बनाने की अनुमति है, वह है - उत्तर-पश्चिम (उ.प) पश्चिम (प.), दक्षिण (द.) एवं दक्षिण-दक्षिण पूर्व (द.द.प)। वहीं दूसरी तरफ, शौचालय के लिए आदर्श वास्तु जोन है दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम (प.उ.प) और पूर्व-दक्षिण-पूर्व (पू.द.प) और पूर्व-दक्षिण-पूर्व (पू.द.प)। प्रत्यक्षतः रसोईघर के लिए आदर्श क्षेत्र, शौचालय के लिए आदर्श क्षेत्र के निकट ही होता है।

यह भी याद रखना चाहिए कि रसोईघर अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है और शौचालय पृथ्वी तत्व का। चूंकि अग्नि पृथ्वी का पूरक है, इसलिए यदि रसोईघर और शौचालय आस-पास है तो वहां वास्तुदोष की कोई संभावना नहीं है।

» एन्टी-क्लॉकवाइज सीढ़ियाँ

वास्तु क्षेत्र में क्लॉकवाइज बनी सीढ़ियाँ नीचे की ओर ऊर्जा का एक चक्राकार प्रवाह पैदा कर देती है; वहीं एन्टी क्लॉक वाइज सीढ़ियाँ ऊपर की ओर ऊर्जा का चक्रीय प्रवाह पैदा करती है। ये चक्राकार ऊर्जाएँ वास्तु क्षेत्रों के प्राकृतिक प्रवाह को परिवर्तित कर देती है। इस अवधारणा की नींव यह है कि जब आप एक पेंच कसते है, तो क्लॉकवाइज घुमाने पर पेंच नीच की ओर और एन्टी-क्लॉकवाइज दिशा में घुमाने पर पेंच ऊपर आता है।

अतः उत्तर पूर्व में बनी क्लॉकवाइज सीढ़ियाँ नए विचारों, रचनात्मकता और पूर्वाआभास को दमित कर देती है वहीं दूसरी ओर उत्तर-पूर्व में स्थित एन्टी-क्लॉकवाइज सीढ़ियाँ, नए विचार, आइडियाज और पूर्वाभास उत्पन्न करती है जबकि वहां बनी एन्टी-क्लॉकवाइज सीढ़ियाँ आपके जीवन में ज्यादा सकारात्मक गुण उत्पन्न करती है।

अतः जरूर याद रखना चाहिए कि सीढ़ियाँ वास्तु क्षेत्र के हिसाब से क्लॉकवाइज अथवा एंटी-क्लॉकवाइज होनी चाहिए। यदि सीढ़ियां ऐसे क्षेत्र में है जिसके प्रभाव को हम बढ़ाना चाहते है। (उदाहरण के लिए धन और अवसर का क्षेत्र) तो उन्हें एन्टी-क्लॉकवाइज होना चाहिए, और यदि वे प्रभाव हम कम करना चाहते है (उदाहरण के लिए खर्चे एवं अपव्यय का क्षेत्र) तब इन्हें निश्चित तौर पर क्लॉकवाइज होना चाहिए आमतौर पर सीढ़ियां पश्चिम से पूर्व एवं दक्षिण से उत्तर की ओर नीचे आनी चाहिए।

» उत्तर में शौचालय

वास्तु के सही ज्ञान के बिना, किसी जगह में की जाने वाली प्रत्येक गतिविधि की सही दिशा का निर्णय नहीं हो सकता है। वास्तु से अपरिचित कई सलाहकार यह तर्क देते है कि शौचालय जल तत्व की एक गतिविधि है; अतः शौचालय उत्तर दिशा में होना चाहिए। सर्वाधिक बुरे परिदृश्य में कई तथाकथित वास्तु सलाहकार कहते है कि वास्तु पुरूष एक असुर है जिनका सिर उत्तर पूर्व (उ.पू) दिशा में है, अतः शौचालय उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित होना चाहिए।

सच्चाई यह है कि शौचालय विसर्जन की एक गतिविधि है यदि यह धन और अवसरों के क्षेत्र (उत्तर) में स्थित है तो यह आपके जीवन के इन पहलुओं पर पानी फेर देगा शौचालय के लिए आदर्श क्षेत्र खर्चें एवं अपव्यय का क्षेत्र है। शौचालय की स्थिति पश्चिम-उत्तर-पश्चिम (प.उ.प) में भी रखी जा सकती है, जो गिरी मनोदशा और अवसाद के क्षेत्र में शौचालय स्थापित करने पर जीवन से यह पहलू खुद-ब-खुद निकल जायेंगे।

» शुभ बेसमेंट

‘यदि बेसमेंट दक्षिणामुखी और पश्चिम अभिमुखी जमीन पर है तो वे हमेशा उन भवनों में रहने वाले लोगों के लिए उच्च सकारात्मक प्रभाव पैदा करेंगे। बेसमेंट कि तहखाने शुभ है या अशुभ यह उनके प्रवेश द्वार और उन तक जाने वाली सीढ़ियों की स्थिति पर निर्भर करता है।

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