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प्रवेश द्वार की स्थिति ज्ञात करने के लिए वास्तु की सही विधि | Entry gate of home according to vastu.

वास्तु के अनुसार, किसी भी भवन में द्वार की सही स्थिति ज्ञान करने के लिए भवन के केन्द्र के चारों ओर के 360o गोलकार में 32 भागों में विभाजित करें। प्रत्येक विभाग का कोणीयमाप 11.25o होगा। इस प्रकार आपके भवन में संभव 32 द्वार स्थानों की स्थितियाँ स्पष्ट होंगी।

वास्तु का यह तरीका कहीं बेहतर, स्पष्ट एवं तर्कयुक्त है। पहले से बने हुए भवनों में इस प्रकार से द्वार की सही स्थिति ज्ञान करने के उपरांत ही आप द्वार के प्रभाव को भवन के लक्षणों से मिलाकर आकलन कर सकते है। भवन के लक्षणों का अर्थ है भवन में रहने वाले लोगों के जीवन की अच्छी अथवा खराब परिस्थितियाँ। जैसे कि, धन का ज्यादा प्रवाह, अपार सफलता, धन का समय पर न मिलना, दुर्घटनाएँ, स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें, गर्भपात, बच्चों की पढ़ाई में परेशानियाँ इत्यादि।

पूर्व दिशा में प्रवेश द्वारों की स्थिति

पूर्व दिशा में प्रवेश द्वारों की स्थिति एवं उनके प्रभाव

पूर्व दिशा में प्रवेश द्वारों की स्थिति एवं उनके प्रभाव

  • E1 - यह द्वार संबंधी दुर्घटनाएं एवं आकस्मिक नुकसान का कारक है।
  • E2 - ऐसे घरों में कन्या जन्म एवं फजूल खर्चे अधिक होते है।
  • E3 - बहुत शुभ द्वार है। यह धारा प्रवाह धन, लाभा एवं सफलता प्रदान करता है।
  • E4 - यह द्वार भवन निवासियों की सरकार के साथ घनिष्ठता, सरकारी कामों में लाभ, धन प्राप्ति का कारक है।
  • E5 - छोटी-छोटी बातों पर पागलपन की हद तक गुस्सा इस द्वार का ही प्रभाव है।
  • E6 - अपनी बातों पर कायम न रह पाने के कारण व्यापार एवं समाज में साख गिरना, द्वार की इस स्थिति के कारण होता है।
  • E7 - यह द्वार निवासियों में निर्मम व्यवहार की प्रवृत्ति एवं दूसरों के प्रति कटु स्वभाव को बढ़ाता है।
  • E8 - यह द्वार दुर्घटनाएं, नुकसान, चोरी एवं निवेशों में भारी घाटे देता है।

दक्षिण दिशा में प्रवेश द्वारों की स्थिति

दक्षिण दिशा में संभावित प्रवेश द्वारों की स्थिति एवं उनके प्रभाव

  • S1 - यह घर में रहने वाले बच्चों (14 वर्ष से कम आयु के लड़कों) के विकास पर बुरा प्रभाव। उनका व्यवहार माता-पिता की इच्छा के विपरीत रहता है।
  • S2 - व्यापार के लिए अशुभ परंतु MNC's में काम करने वाले लोगों के लिए ठीक।
  • S3 - अत्यंत सफलता एवं समृद्धिदायक। भवन में रहने वाले साम, दाम, दंड, भेद द्वारा काम निकलवाने में दक्ष होते है।
  • S4 - फैक्ट्रियों एवं उद्योगों के लिए समृद्धिदायक। घर में लड़कों का जन्म अधिक होता है।
  • S5 - कर्जकारक; कर्जे से मुक्ति में बाधाएँ। भवन निवासी अपनी समझ बुद्धि के सार्थक उपयोग में असमर्थ।
  • S6 - अत्यधिक दरिद्रता का कारक। बिना वजह नुकसान पर नुकसान। भवनों के बिकने तक की नौबत।
  • S7 - जीवन से उकताहट। सभी प्रयासों का फल निष्फल; हर श्रम गिरावट की ओर।
  • S8 - सर्वाधिक गलत प्रवेश द्वार। (वंश) खानदान से पूर्णतः कट जाना; धन एवं संबंधों की हानि; जीवन के लिए खतरे का कारक।

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