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वर्णानुसार भूमि परीक्षा | रूप (वर्ण) के आधार पर भूमि का चयन किस प्रकार करें? | How to select any land on the basis of Colour in Vastu.

वर्ण: रूप (वर्ण) के आधार पर भूमि का चयन किस प्रकार करें? श्वेत मृत्तिका (मिट्टी) की भूमि ब्राह्मणी, रक्त वर्ण की क्षत्रिया, हरित वर्ण पीली वैश्या और कृष्ण वर्ण की भूमि शूद्रा कही जाती है। हरित वर्ण की भूमि धन-धान्य एवं वैभव वृद्धिकारक होती है। पीत वर्ण की भूमि राजकीय लाभ, यश एवं प्रतिष्ठा कारक होती है। यह भूमि वैश्यों को उत्तम फल प्रदान करती है। श्वेत वर्ण की भूमि सभी प्रकार की उन्नति, कुटुम्ब वृद्धि तथा सुख-समृद्धि कारक होती है। श्याम वर्ण की भूमि मात्र शुद्रो के पक्ष में कुटुम्ब वैभव, वृद्धिकारक तथा पुत्र प्राप्ति कारक होती है। लाल वर्ण की भूमि क्लेश, भय एवं अशान्ति कारक होती है किन्तु क्षत्रिय वर्ण को शुभ फलदायक होती है। पाण्डू वर्ण की भूमि शान्ति, सुख एवं समृद्धि कारक कही गई है।

रूप (वर्ण) के आधार पर भूमि का चयन किस प्रकार करें?

गंध: धी के समान सुगंधा भूमि ब्राह्मण, रक्तगंधा क्षत्रिया, मधु (अन्न) गंधा वैश्या और मद्यगंधा या विष्टा जैसी गंध वाली भूमि को शूद्रा कहते है।

स्वाद: इष्ट भूमि की धूल को जिह्वा पर रखें। मधु रसयुक्त ब्राह्मणी, कषाय रसयुक्त भूमि क्षत्रिया, आम्ल रसयुक्त वैश्या और कषाय रसयुक्त भूमि शूद्रा भी कहलाती है।

तृण परीक्षा: जिस भूमि पर कुश, दर्भ एवं हवनीय वृ़क्ष हो, वह ब्राह्मणी, शर (मुज), रक्तवर्णीय पुष्प और वृक्षों वाली, सर्प से युक्त भूमि क्षत्रिया, कुश-काश, धन-धान्य और फलयुक्त वृक्षों वाली भूमि वैश्या तथा सर्वतृणयुक्त निम्न कोटि के राक्षस वृक्षों वाली भूमि शूद्रा कहलाती है।

भूमि का प्रभाव: ब्राह्मणी भूमि सर्वप्रकार के आध्यात्मिक सुख देती है। क्षत्रिया राज्य देती है; वर्चस्व और पराक्रम बढ़ाती है। वैश्या धन-धान्य से युक्त करती है, ऐश्वर्य बढ़ाती है और शूद्रा निंदित है, क्योंकि यह भूस्वामी को कलह-झंझट और झगड़ों में उलझाती है। यह भी शास्त्र का वचन है कि ब्राह्मणादि चारों वर्णों के लिए, क्रम से, धृतगंधा, रक्तगंधा, अन्नगंधाा और मद्यगंधा भूमि शुभ होती है। भूमि कोई भी रंग की हो, परंतु कुछ कठोर और स्निग्ध (चिकनी) हो, तो उत्तम होती है।

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