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जानियें कालसर्प दोष के सरल उपाए | Kalsarp Dosh Nivaran ke Saral Upaaye

Kalsarp Dosh Nivaran ke Saral Upaaye

काल सर्प दोष निवारण के कुछ विशिष्ट एवं सरल उपाय यहां प्रस्तुत हैं।

काल सर्प के शांति कर्म में दोष निवारक यंत्र का अत्यधिक महत्व होता है। ताम्र पत्र पर निर्मित या शोधन पत्र पर स्वनिर्मित यंत्र की विधि विधान से प्राण प्रतिष्ठा कर उसका विभिन्न तरह से पूजन करने से इस दोष का निवारण होता है। इस दोष का निवारण कार्तिक या चैत्र मास में सर्पबलि कराने से होता है।

1. “कालसर्प योग के दोष से मुक्ति हेतु नागों और सांपों के नाथ प्रभु शिव की आराधना करना अति उत्तम उपाय है। प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग का जलाभिषेक करें।”

2. “भगवान श्री कृष्ण ने कालिय नाग का मर्दन किया था अतः इस योग के दोष से बचाव के लिए भगवान श्री कृष्ण की भक्ति भी करनी चाहिए।”

3. “भगवान श्री गणेश विघ्नहर्ता हैं, अतः इस योग के दोष से मुक्ति हेतु उनकी पूजा आराधना भी करनी चाहिए।”

4. “हनुमान जी राहु और केतु की पीड़ा के मुक्ति दिलाते हैं, अतः उनकी आराधना भी अत्यंत करनी चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करें।”

5. “भगवान बटुक भैरव की आराधना से भी इस दोष से बचाव हो सकता है।”

6. “राहु और केतु के मंत्र का जप भी करना चाहिए।”

7. निम्न मंत्रो का जाप भी लाभदायक रहता है :

a. ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट।

b. ॐ हीं बटुकाय आपदुदारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ।

c. ॐदेवदत्त धनंजयाय नमः।

d. ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवै नमः।

e. ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवै नमः’।

अंत में ‘हे प्रभु! मेरे कालसर्प योग के दुष्प्रभावों को समाप्त करो’ ऐसी प्रार्थना अवश्य करें। साथ ही कालसर्प योग निवारक यंत्र स्थापित कर उसे नियमित रूप से दीपक दिखाएं तथा चंदन का तिलक यंत्र को भी लगाएं और स्वयं भी करें।

काल सर्प दोष शांति के कुछ अन्य उपाय

1. “किसी भी शिव मंदिर में नियमित रूप से जाना चाहिए और शिवार्चन कर और पंचामृत से अभिषेक कर 108 बार ॐ नमः शिवाय मंत्रा का जप करना चाहिए।”

2. “पितृ पक्ष में पितृपूजन, तर्पण और हवन करना तथा ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। पितरों की जिस तिथि को मृत्यु हुई हो उसी तिथि से श्राद्ध करना चाहिए।”

3. “पत्थर की नाग की मूर्ति बनाकर उसकी मंदिर में स्थापना करनी चाहिए।”

4. “अगर कहीं मरा हुआ नाग मिले, तो उसका शुद्ध घी से अग्नि संस्कार करें और 3 दिन सूतक पालें। फिर किसी जीवित सर्प की पूजा कर उसे जंगल में छुड़वा दें।”

5. “राहु रत्न गोमेद धारण कर ॐ रां राहवे नमः मंत्र का रात्रि के समय 18 हजार जप करें व नीले फूल, चंदन आदि से राहु की पूजा करें।”

6. “केतु का रत्न लहसुनिया धारण कर ॐ केतवे नमः मंत्र का 17 हजार बार जप करें।”

7. “घर में नित्य गोमूत्र का छिड़काव करें और सुबह शाम लोबान की धूनी दें।”

8. “पलाश के फूल व फल गोमूत्र में कूटकर उसका चूर्ण बनाकर उसे जल में डालकर उस जल से स्नान करना चाहिए। तिलपत्र भी जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए।”

9. “कोढ़ी, भंगी, अपंग और अंधे लोगों को भोजन कराना चाहिए।”

10. “ज्योतिर्लिंग मंदिर में रुद्राभिषेक करना चाहिए तथा गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करते रहना चाहिए।”

11. “कुत्तों और कौओं को भोजन देते रहना चाहिए।”

12. “नित्य सूर्य को जल का अघ्र्य देना चाहिए और पीपल के वृक्ष को नित्य जल अर्पित कर उसकी पूजा करते रहनी चाहिए।”

13. “जिस व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प योग होता है उसे अचानक शुभ व अशुभ फल प्राप्त होते हैं। अतः उसे बुरे कर्म, मद्यपान मांसाहार आदि से बचना चाहिए।”

14. “माता-पिता की सेवा व आज्ञा का पालन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।”

15. “आंतरिक शांति बनाए रखने और उन्नति के लिए गायत्री मंत्र का जप नियमित रूप से करते रहना चाहिए।”

16. “बुधवार को नाग सहस्रनामावली या सर्प सूक्त का निरंतर पाठ करने से उत्तम फल प्राप्त होता है। 17. हर बुधवार को काले कपड़े में एक मुट्ठी काले उड़द डालकर राहु के मंत्र जप कर किसी भिखारी को दें।”

17. “बहते हुए पानी में अपने वजन के बराबर जौ अथवा कोयला प्रवाहित करें।”

18. “चांदी अथवा सप्तधातु की सर्प की आकृति की अंगूठी धारण करनी चाहिए।”

19. “जातक को पंचमी तिथि को सवाकिलो जौ बहते जल में प्रवाहित करने चाहिए।”

20. “जातक को अपने घर में मोर पंखीस्थापित करनी चाहिए तथा घर केबाहर चांदी से बना स्वास्तिक भीलगाना चाहिए।”

21. “प्रत्येक वर्ष नागपंचमी के दिन व्रतकरें, सर्पों के लिए उपयुक्तदान-दक्षिणा करें तथा संभव हो सकेतो सर्पों को दूध भी पिलायें।”

22. “नित्य नवनाग स्तोत्र का सुबह-शामनौ बार पाठ करना चाहिए।”

23. “सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दिनसतनाजा से स्वयं के वजन के बराबरतुलादान करना चाहिए।”

24. “श्री रामभक्त हनुमान जी की प्रतिदिनपूजा-अर्चना करनी चाहिए क्योंकिउन्होंने ही रामजी के भ्राता लक्ष्मण कोनागपाश से छुड़ाया था।”

25. “श्रावण मास के सोमवारोंका व्रत करें तथा श्रावण मास केसोमवारों में भगवान शिव का रूद्राभिषेककरें।”

26. “पलाश के फूल के चूर्ण को पानी मेंमिलाकर लगातार 72 बुधवार तकस्नान करने से भी कालसर्प योग शांतहोता है।”

27. “यदि घर में एक से अधिक लोगोंकी जन्मकुंडली में कालसर्प योग होतो एक ढाई किलोग्राम का पारद शिवलिंग बनवाकर उसकी विधि-विधान से पूजा-पाठ करवा कर घर में स्थापित करें तथा घर केसभी लोग उस पारद शिवलिंग कीनित्य पूजा करें, इससे कालसर्प योगबहुतहद तक शांत होता है।”

28. “कालसर्प दोष को शांत करने के लिएराहु और केतु ग्रह की वस्तुओं कादान भी एक बहुत प्रभावशाली उपायहै, राहु-केतु की दान वस्तुएं हैं, कालेतिल, तेल, स्वर्ण, काले रंग का वस्त्र,काले-सफेद रंग का कंबल, कस्तूरी,नारियल।”

29. “कालसर्प योग के अनिष्ट प्रभाव सेपूरी तरह से छुटकारा पाने के लिएनिम्न जगहों पर व्यक्ति कोविधि-विधान से कालसर्प दोष कीपूजा-पाठ करवानी चाहिए :

संगम (इलाहाबाद), गया में, केदारनाथ के पास त्रियोगी नारायणके मंदिर में, जयपुर के भैरवजी के मंदिर में, तिरूपति बाला जी के समीप कालहस्ती शिव मंदिर में, नासिक में गरुड़ेश्वर में, त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग पर तो विशेषरूप से पूजा-पाठ करने पर कालसर्पदोष शांत हो जाता है।

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