भारत के इस गांव में हैं 200 से अधिक जुड़वा बच्चे. जानिए इसके पीछे का सच | Indian village has 220 pairs of twins. Know the mystery behind it!
भारत के इस गांव में हैं 200 से अधिक जुड़वा बच्चे. जानिए इसके पीछे का सच | Indian village has 220 pairs of twins. Know the mystery behind it!
हम सभी ने यह सुना है कि संसार में हमारे जैसी शक्ल वाला एक न एक व्यक्ति अवश्य होता है. अब इस बात में कितनी सच्चाई है, यह किसी को नहीं पता, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में एक ऐसा गांव है, जहां 200 से अधिक जुड़वा बच्चे हैं. यह गांव केरल के मलप्पुरम जिले में स्थित है, इसका नाम कोडिन्ही है. विश्व स्तर की बात करें तो हर 1000 बच्चों में 4 जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं, वहीं इस गांव में हर 1000 बच्चों में 45 बच्चे जुड़वा होते हैं.
भारत के इस गांव में हैं 200 से अधिक जुड़वा बच्चे. जानिए इसके पीछे का सच | Indian village has 220 pairs of twins. Know the mystery behind it!
डॉक्टर्स अभी भी इस गुत्थी को सुलझाने में लगे हुए हैं कि करीब 2000 परिवारों वाले इस गांव में इतने जुड़वा बच्चे होने के पीछे का कारण क्या है. 2008 में इस गांव में 300 महिलाओं ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया. जिसमें की 15 जुड़वा बच्चे थे. मतगणना के अनुसार, इस गांव में पिछले 5 सालों में 60 जुड़वा बच्चे पैदा हुए, जो कि ग्लोबल एवरेज का 5 गुना है.
केरल के डॉक्टर डॉ. कृष्णन श्रीबिजु पिछले दो सालों से इस गांव में जुड़वा बच्चे के पैदा होने का रहस्य पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. उनके अनुसार, इस गांव में जुड़वा बच्चों की संख्या रिकॉर्ड से कहीं ज़्यादा है. वे कहते हैं कि जहां तक मेरा मानना है कोडिन्ही गांव में तकरीबन 300 से लेकर 350 जुड़वा बच्चे हैं. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि बीतते समय के साथ जुड़वा बच्चों के जन्म की संख्या बढ़ती जा रही है. पिछले 10 सालों में जुड़वा बच्चो दोगुने हो गए हैं. गांववालों के अनुसार, जुड़वा बच्चों के जन्म का सिलसिला तीन पीढ़ी पहले शुरू हुआ. डॉ. कृष्णन कहते हैं कि जहां तक मेरी जानकारी है, इस गांव में 60 से 70 साल पहले जुड़वा बच्चों के जन्म की शुुरुआत हुई. उनके अनुसार, जुड़वा बच्चों के जन्म का कारण इस गांव के लोगों की खाने-पीने की आदत हो सकती है. बिना बायोकेमिकल एनालिसिस के यह कहना मुश्किल होगा कि इस गांव में इतनी अधिक संख्या में जुड़वा बच्चे कैसे जन्म लेते हैं, लेकिन इसके पीछे उनके खाने-पीने की आदत हो सकती है. गांवालों के अनुसार, इस गांव के सबसे उम्रदराज जुड़वा 65 वर्षीय अब्दुल हमीद और उनकी जुड़वा बहन कुन्ही कदिया है. ग्रामीणों का मानना है कि इसके बाद से गांव में जुड़वा बच्चों का जन्म देना शुरू हुआ. गांववालों के अनुसार, पहले इतने अधिक जुड़वा बच्चे नहीं होते थे, लेकिन पिछले 10 वर्षों में गांव में जुड़वा बच्चों का जन्म लेना तेजी से बढ़ा है.
आपको बता दें कि भारत यहां तक कि एशिया में ही जुड़वा बच्चों का जन्मदर कम है. विदेशों में टवीन्स के जन्म का दर बढ़ा है, लेकिन इसका कारण आर्टिफिशियल तरीके से बच्चों का जन्म कराना है. इसके अलावा आमतौर पर अधिक उम्रवाली महिलाओं द्वारा जुड़वा बच्चों को जन्म देने के चांसेज ज़्यादा होते हैं, लेकिन इस गांव में ऐसा नहीं है, क्योंकि यहां शादियां 18-20 साल की उम्र में हो जाती हैं और उसके बाद ही परिवार शुरु हो जाता है.
आमतौर पर 5 फुट 3 इंच से कम हाइटवाली महिलाएं जुड़वा बच्चों को जन्म देती हैं, लेकिन इस गांव के महिलाओं की औसत हाइट 5 फुट ही है. कोडिन्ही गांव वालों ने ट्विन्स और किन एसोशिएशन बनाया है, जो जुड़वा बच्चे और उनके परिवारवालों की मदद करते हैं. यह एसोसिएशन गांववालों को आर्थिक मदद भी प्रदान करता है.
You May Be Interested IN