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बेनामी संपत्ति क्या है ? - भारत में बेनामी संपत्ति अधिनियम | Know About Benami Property Act in India


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बेनामी संपत्ति (Benami Property) का मतलब है “बिना नाम की संपत्ति”। यहाँ चल, अचल, मूर्त, अमूर्त, कोई अधिकार या ब्याज, या कानूनी दस्तावेज, यहां तक ​​कि सोना या वित्तीय प्रतिभूतियां भी बेनामी संपत्ति (Benami Property) में शामिल हैं। …

What Is Benami Property Act?

पिछले साल यानि सन 2016 में भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक घोषणा की कि 1000 और 500 के नोट अब बंद कर दिए गये है. इसे लोगों ने आम भाषा में नोटबंदी का नाम दिया. उसी समय एक और महत्वपूर्ण घोषणा की गई, कि सरकार का अब भ्रष्टाचार के खिलाफ अगला कदम उन लोगों के लिए हैं जोकि बेनामी संपत्ति के मालिक है. इसके लिए नये क़ानून भी बनाये जा सकते है. इसके चलते भारत सरकार ने देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए कुछ अहम फैसले लिए उन्हीं में से यह भी बहुत ही अहम फैसला था.

बेनामी संपत्ति है क्या ? (What is Benami property means)

बेनामी संपत्ति मूलतः वो संपत्ति होती है, जो किसी व्यक्ति के नाम पर नहीं होती है. यानि किसी व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की जा रही संपत्ति, जो उसके नाम पर पंजीकृत नहीं है, वो बेनामी संपत्ति के अंतर्गत आएगी. कभी कभी ये संपत्ति, इस्तेमाल कर रहे व्यक्ति के पति या पत्नी के नाम पर भी हो सकती है, जिसे खरीदते समय इस्तेमाल किये गए धन के स्त्रोत का कुछ पता नहीं चल पाता. यदि कोई संपत्ति भाई, बहन या अन्य किसी रिश्तेदार के साथ ली गयी है, जिसे संयुक्त संपत्ति (जॉइंट प्रॉपर्टी) भी कहते हैं. लेकिन उस संपत्ति को खरीदने के लिए दिए गये पैसे का विवरण न हो, तो ये बेनामी संपत्ति के अंतर्गत आता है.

इसके अलावा इसी तरह के कई अन्य संपत्ति जिसके स्त्रोत की जानकारियाँ नहीं होती है, लेकिन उसका इस्तेमाल किसी के द्वारा किया जा रहा है, वे सब बेनामी संपत्ति के तहत आएगी. कुछ लोग अपने टैक्स बचाने के लिए अपने काले धन का इस्तेमाल कई तरह की संपत्तियां खरीदने में करते हैं. इस तरह से खरीदी गयी संपत्तियां बेनामी संपत्ति में आती है. इन संपत्तियों के असली मालिक का पता नहीं चल पाता, क्योंकि इस तरह से संपत्तियां खरीदने वाले लोग इस काम के लिए कई अलग अलग नाम और पहचान का इस्तेमाल करते हैं. जो आदमी इस तरह से बेनामी संपत्ति ख़रीदता है उसे ‘बेनामदार’ कहा जाता है. ऐसे बेनामी लेन देन कई रूपों में होते हैं. ये संपत्तियां गतिशील, स्थापित, वास्तविक, अवास्तविक वस्तुओं या किसी दस्तावेज़ के रूप में हो सकती है.

आईये, बेनामी संपत्ति से जुड़े कानून को समझते हैं।

इस ट्रांजैक्शन में जो आदमी पैसा देता है वो अपने नाम से प्रॉपर्टी नहीं करवाता है। जिसके नाम पर ये प्रॉपर्टी खरीदी जाती है उसे बेनामदार कहा जाता है। इस तरह से खरीदी गई प्रॉपर्टी को बेनामी प्रॉपर्टी कहा जाता है। इसमें जो व्यक्ति पैसे देता है घर का मालिक वही होता है। ये प्रॉपर्टी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों तरीकों से पैसे देने वाले का फायदा करती है। भारत में बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनके धन का कोई हिसाब-किताब नहीं है और वे आयकर भी नहीं चुकाते, वे अमूमन बेनामी संपत्तियों में धन लगाते हैं।

भारत में बेनामी संपत्ति के लिए अधिनियम (Benami property act India in hindi)

भारत में बेनामी संपत्ति के लिए कई अधिनियम पारित किये गए, जोकि इस प्रकार है-

  1. बेनामी संपत्ति अधिनियम 1988 (Benami property act 1988)

बेनामी संपत्ति अधिनियम 1988 भारत के संसद से ज़ारी किया गया कानून है.

  • इस अधिनियम को बेनामी ट्रांसक्शन (प्रोहिबीशन) एक्ट 1998 के नाम से भी जाना जाता है.
  • ये जम्मू और कश्मीर के अलावा भारत के सभी राज्यों में पारित हुआ था. सेक्शन 3, 5 और 8 का प्रावधान एक साथ सभी जगहों पर 19 मई 1988 से पारित हुआ.
  • बेनामी ट्रांसक्शन का मतलब ऐसा कोई ट्रांसक्शन है, जिसमे एक आदमी किसी दूसरे आदमी से किसी प्रॉपर्टी को किसी तरह के लाभ के लिए लेना बताता है, तो वह बेनामी संपत्ति कहलाएगी.
  • निर्धारण यानि इस अधिनियम के तहत सभी निर्धारित तत्व होंगे.
  • सम्पति अर्थात किसी भी तरह की संपत्ति गतिशील, स्थापित, वास्तविक, अवास्तविक और किसी तरह के हक़ या रूचि के अधीन हो.

यह सभी प्रकार की संपत्ति इस अधिनियम के तरह बेनामी संपत्ति कही जाएगी.

  1. बेनामी संपत्ति बिल 2015 (Benami property bill 2015)

बेनामी संपत्ति बिल 2015 के तहत ऐसी शर्त, जिसके अधीन कोई संपत्ति बेनामी होने से बच सकती है, इस बिल में कुछ ऐसे निर्दिष्ट घटनाओं का भी वर्णन है जिसके अंतर्गत कोई भी संपत्ति बेनामी सम्पत्ति घोषित होने से मुक्त हो सकती है. जैसे

  • किसी संयुक्त परिवार का एक सदस्य जो अपने परिवार के किसी और सदस्य की संपत्ति अपने नाम रखता है, और परिवार की सारी कमाई एक साथ दिखाई जाती है.
  • किसी संपत्ति को रखने वाला यदि ज़िम्मेदार आदमी हो.
  • किसी आदमी की उसकी बीवी अथवा बच्चे के लिए खरीदी गयी संपत्ति जिसे ख़रीदने के लिए आदमी ख़ुद अपनी कमाई से भुगतान कर रहा हो.
  1. बेनामी संपत्ति एक्ट 2016 (Benami property act 2016)

बेनामी संपत्ति एक्ट 2016 बेनामी संपत्ति एक्ट 1988 का संशोधित रूप है. इस एक्ट के अंतर्गत –

  • इस नये अधिनियम के तहत संपत्ति की कोई भी ऐसी लेन देन जिसमे असली मालिक कुछ पैसों के लालच देकर किसी अन्य आदमी के नाम पर अपनी संपत्ति रखता है, वो बेनामी संपत्ति के अंतर्गत आती है. ऐसे ट्रांसक्शन अक्सर अवैध नामों की सहायता से किये जाते हैं.

बेनामी संपत्ति पर कानूनी कार्यवाही (Benami property law 2016)

  • कोई भी आदमी किसी भी तरह के बेनामी लेन- देन में हिस्सा नहीं लेगा.
  • किसी भी तरह से अपनी पत्नी अथवा बच्चे के नाम से कोई संपत्ति खरीदने पर यह संपत्ति तब तक परिकल्पित रहेगी, जब तक इस सत्य का ज्ञापन न हो जाए कि यह संपत्ति वाकई पत्नी अथवा बच्चे के लाभ के लिए खरीदी गयी है.
  • जो भी व्यक्ति इस तरह के लेन देन में भागीदार रहेगा उसे भारतीय क़ानून के इस अधिनियम के तहत दण्डित किया जाएगा. दंड के तौर पर कम से कम तीन साल कारावास की सजा या न्यायालय द्वारा आदेश दिए गये दंड शुल्क अथवा दोनों ही दिया जा सकता है. कारावास तीन साल से अधिक का भी हो सकता है.
  • इस दंड के दौरान मुजरिम को जमानत नहीं मिल सकेगी.

बेनामी संपत्ति का मानदंड (Benami property criteria)

कई तरह से किसी संपत्ति को बेनामी संपत्ति घोषित किया जा सकता है.

  • यदि कोई आदमी अपनी किसी भी तरह की संपत्ति का मालिक किसी और आदमी को बना देता है, और उस आदमी को इस काम के लिए किसी तरह का लाभ देता है तो ऐसी सम्पत्तियां बेनामी संपत्ति के अंतर्गत आती हैं.
  • कई लोग अपने आयकर बचाने के लिए अपने काले धन का इस्तेमाल कई तरह की सम्पत्तियो को खरीदने में करते हैं. ये संपत्तियां वे अक्सर अवैध नामों और डुप्लीकेट दस्तावेज़ों की सहायता से करते हैं. ऐसी संपत्तियां बेनामी संपत्ति के अंतर्गत आती हैं.
  • यदि किसी संपत्ति को कोई आदमी अपने कमाए हुए पैसे से अपने किसी रिश्तेदार के नाम से ख़रीदता है तो वो संपत्ति भी बेनामी संपत्ति के अंतर्गत आएगी.
  • मूलतः ये कहा जा सकता है कि कोई भी ऐसी संपत्ति जिसका मालिक सम्पति के क़ानूनी दस्तावेज़ों में अपना नाम नहीं रखता है, लेकिन संपत्ति पर क़ब्ज़ा किये हुए रहता है उसे बेनामी संपत्ति में गिना जाएगा.

बेनामी संपत्ति के जांच आयोग (Benami property investigation commission)

इस अधिनियम के तहत चार ऐसे आयोग का गठन हुआ है जो बेनामी संपत्ति की जांच अथवा छान- बीन करते हैं. ये चारो हैं

  1. इनिशिएटिंग ऑफिसर यानि पहल अधिकारी
  2. अप्प्रूविंग अथॉरिटी यानि प्राधिकरण की मंजूरी
  3. एड्मिनिसट्रेटर अथॉरिटी यानि प्रशासन प्राधिकरण
  4. एडजुडीकेटिंग अथॉरिटी

इन सारे आयोगों का काम बंटा हुआ है. सबसे पहले इनिशिएटिंग ऑफिसर यानि पहल अधिकारी निर्दिष्ट जगह पर, जहाँ बेनामी संपत्ति होने की आशंका है वहाँ की तहकीकात करते हैं. और फिर वे संपत्ति बेनामी प्रामाणित हो जाने पर सारे रिपोर्ट अप्प्रूविंग अथॉरिटी के हाथ दे देते हैं. इसके बाद आगे की कार्यवाही में एड्मिनिसट्रेटर अथॉरिटी और एडजुडीकेटिंग अथॉरिटी भाग लेता है. इस तरह बेनामी संपत्ति की जाँच की जाती है.

अचल संपत्ति पर इसका प्रभाव (Benami property effect on real estate)

ये कानून मुख्यतः ऐसे लोगों को नज़र में रख कर बनाया गया है, जो कालाबाजारी करके धन संपत्ति कमाते हैं. सरकार को टैक्स भरने से बचने के लिए ये अपनी असीम संपत्ति को या तो छुपा के रखते हैं या अपनी संपत्ति की सूरत बदलते रहते हैं. इस तरह के ग़ैर कानूनी काम के लिए अक्सर ये लोग कई आम लोगों का इस्तेमाल करते हैं और बेनामी सम्पति की ख़रीद बिक्री करते हैं. यह किसी भी प्रकार से अचल संपत्ति के लिए नहीं है. इससे उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, किन्तु बेनामी संपत्ति रखने वालों कि ऐसी क्रियाएँ सरकार की आर्थिक गतिविधियों को बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित करती हैं. भारत में टैक्स देने वालों की संख्या बहुत कम है जिस वजह से सरकार अपनी नीतियों को आम लोगों के लिए लागू नहीं कर पाती.

नए कानून में क्या क्या विशेष

  • नए कानून में दोषी व्यक्ति को एक साल से सात साल तक के कठोर कारावास की सजा मिल सकती है। इसके उस पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है। यह उस संपत्ति के बाजार मूल्य के 25 फीसद तक हो सकता है। पुराने कानून में तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों का प्रावधान था।
  • नए कानून में ऐसे लेनदेन के बारे में जानबूझ कर गलत जानकारी देने वालों के खिलाफ भी जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
  • ऐसा करने पर कम से कम छह महीने और अधिकतम पांच साल के कठिन कारावास की सजा के साथ उस संपत्ति के बाजार मूल्य के हिसाब से दस फीसद तक राशि का जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • नए कानून में कोई भी कानूनी कार्रवाई केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की पूर्वानुमति के बिना शुरू नहीं की जाएगी। नए कानून की मदद से रीयल एस्टेट क्षेत्र में कालेधन के प्रवाह पर नजर रखने में मदद मिलेगी। इस कानून में एक प्रशासक नियुक्त करने का प्रावधान है जो इस कानून के तहत जब्त की जाने वाली संपत्तियों का प्रबंधन करेगा।
  • इस नए कानून के मुताबिक इस कानून के तहत दंडनीय अपराधों की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार एक या एक से अधिक सत्र अदालत या विशेष अदालतें निर्धारित कर सकती हैं।

बेनामी संपत्ति क्या नहीं हैं

बेनामी लेनदेन अधिनियम के अनुसार ऐसे कई बिंदु है जिनसे संपत्ति बेनामी नहीं कहलाएगी जो इस प्रकार हैं :

  • हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के मामले में कर्ता या HUF का कोई अन्य सदस्य अपने लाभ के लिए या परिवार के सदस्यों के लाभ के लिए एक संपत्ति खरीदता है और HUF के ज्ञात स्रोत की आय से ही भुगतान करता है तो ऐसी संपत्ति बेनामी संपत्ति के दायरे में नही आएगी |
  • एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के लाभ के लिए न्यायिक क्षमता के भीतर एक ट्रस्टी, प्रबंधक, साथी, एक कंपनी का निदेशक, निक्षेपागार अधिनियम, 1996 के तहत एक निक्षेपागार या एक एजेंट हो सकता है और इसके लिए दूसरे व्यक्ति को इसके लिए केन्द्र सरकार को अधिसूचित करना होगा |
  • उसकी / उसके पति या पत्नी के नाम या उसकी / उसके बच्चे (विवाहित बेटी को छोड़कर) के नाम पर ली गई संपत्ति जिसका भुगतान व्यक्ति की आय के ज्ञात स्रोत से किया जाता है तो ऐसी संपत्ति बेनामी संपत्ति के दायरे में नही आएगी |
  • यदि कोई संपत्ति बच्चों, भाई, बहन या नज़दीकी लिंग या वंशज के साथ संयुक्त स्वामित्व के रूप में ज्ञात स्रोतों का उपयोग कर खरीदा जाता है तो ऐसी संपत्ति बेनामी संपत्ति के दायरे में नही आएगी |
  • यदि एक संपत्ति स्थानांतरित की जा रही है लेकिन संपत्ति का हस्तांतरण अनुबंध के आधार पर आंशिक रूप से क्रियान्वित किया जाता है, तो इस संपत्ति को बेनामी संपत्ति के रूप में नहीं माना जाएगा |
  • यदि संपत्ति का लेनदेन एक पंजीकृत अनुबंध के माध्यम से, General Power of Attorney (GPA) के आधार पर किया जाता है और कर्तव्य टिकट का भुगतान भी किया जाता है, तो ऐसी संपत्ति बेनामी संपत्ति के रूप में नहीं मानी जाएगी |
  • जिस संपत्ति को आय घोषणा योजना 2016 (IDS) के तहत घोषित कर दिया गया है अब उसे बेनामी संपत्ति के रूप में माना जाएगा |

बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम (PBPT अधिनियम) के नए कानून के अनुसार, दोषी व्यक्ति को कम से कम 1 साल का सश्रम कारावास जिसे अपराध की गंभीरता पर 7 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।

आपको बता दें की सरकार ने भरोसा दिया है धार्मिक ट्रस्ट इस कानून के दायरे से बाहर रहेंगे।

देश में काले धन पर अंकुश लगाने के प्रयासों के बीच सरकार के इस कदम से काला धन छिपाने और टैक्स बचाने के लिए बेनामी संपत्ति खरीदने वालों के लिए आने वाला वक्त परेशानी भरा हो सकता है।

इस तरह बेनामी संपत्ति के विरूद्ध सरकार का एक कडा रुख देश और देशवासियों के लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है.

Jai Hind!

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