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भारत में विदेशी खाता धारक टैक्स नियम जानकारी व लाभ | Foreign Account Tax Compliance Act or FATCA Regulations India information benefits


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The Foreign Account Tax Compliance Act (FATCA) is intended to detect and deter the evasion of US tax by US persons who hide money outside the US.

Foreign Account Tax Compliance Act (FATCA) regulations India information benefits in hindi एफएटीसीए का पूरा नाम फॉरेन एकाउंट टैक्स कॉम्पलेंस एक्ट है, अर्थात विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम, जिसे 2010 में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा इस कानून को यूनाइटेड स्टेट्स संघीय कानून में लागु किया गया. इस कानून को लागु करने की आवश्यकता इसलिए पड़ी कि अमेरिका में व अमेरिका से बाहर रहने वाले व्यक्तियों के लिए एक वार्षिक रिपोर्ट तैयार कर उनके वितीय खातों पर नज़र रखी जाए, ताकि किसी भी तरह के वितीय अपराध और पैसों के लेनदेन से जुड़े मामलों पर नज़र रखी जा सके. यह इसलिए भी जरुरी बन गया है ताकि, इससे जो गैर अमेरिकी अर्थात विदेशी है उनके वितीय संस्थानों के रिकॉर्ड, उनकी स्थिति और सम्पति की पहचान को यूनाइटेड स्टेट द्वारा आसानी से खोजा जा सके. इस अधिनियम के माध्यम से एफएटीसीए (फटका) से राजस्व जुटाने में मदद मिली. जिस वजह से 2010 के स्थानीय नौकरी प्रोत्साहन बिल को मंजूरी मिली, जोकि बहाली प्रोत्साहन रोजगार अधिनियम के लिए जरुरी था. इस अधिनियम के तहत 111 यूनाईटेड स्टेट कांगेस अधिनियमित होंगे. इस अधिनियम को लागु करने के लिए अमेरिकी के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा 18 मार्च 2010 को इस पर हस्ताक्षर किया गया.

Foreign Account Tax Compliance Act (FATCA) regulations India information benefits - एफएटीसीए का उदेश्य (FATCA objective)

2010 में अमेरिका ने जब एफएटीसीए (फटका) अधिनियम को क़ानूनी रूप से लागु किया, तब इसका मुख्य उदेश्य यह था, कि जो भी कर दाता है अगर उनके द्वारा किसी और देश में खाते खुले गए है तो उसके बारे में जानकारी इकट्ठी करना. जिससे कर के मामलों में पारदर्शिता आयेगी और विदेशों में कर चोरी को रोका जा सकेगा.

एफएटीसीए का फायदा (FATCA benefits)

इस अधिनियम के लागु हो जाने से भारत सरकार को भी बहुत से फ़ायदे होंगे. एफएटीसीए के लिए कई देशों ने (आईजीए) अंतर सरकारी समझौते भी किये है, जिनमे शामिल है भारत और अमेरिका के बीच समझौता जोकि 9 जुलाई 2015 को हुआ. यह समझौता भारत सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है. अमेरिका के अलावा भारत ने और देशों से भी एफएटीसीए समझौता किये है, जिनमे शामिल है- भारत और कनाडा, भारत और ब्राजील, भारत और रूस. इस समझौते के तहत किसी भी वितीय या निवेश के खाते को खोलते वक्त प्रत्येक भारतीय निवेशकर्ता को नियमित केवाईसी सुचना के अलावा एक अतिरिक्त केवाईसी और उसका अनुपलान फॉर्म प्रदान करना पड़ेगा. इस समझौते के तहत होने वाले फायदे निम्नवत है-

  1. हाल ही में विदेशों में जमा काले धन का मुद्दा उठा था. एफएटीसीए के लागु हो जाने से जब सारी सूचनाओं का आदान प्रदान होने लगेगा तब इस काले धन की जमा पूंजी पर रोक लगाने में सहायता मिलेगी और इस तरह से जो भी व्यक्ति कर चुराने के लिए विदेश में पूजीं जमा करने की नीति अपनाते है उनकी चोरी को पकड़ना सरकार के लिए आसान हो जायेगा.
  2. इस कानून के लागु होने से सरकार की सोची गई नीति को सुचारू रूप मिल सकेगा. चुकि सारी सूचनायें अगर मिल जाती है तो प्रत्यक्ष कर को बढ़ावा मिलेगा जो की सरकार की अर्थ व्यवस्था को मजबूत बनाएगा.
  3. सरकार अगर आर्थिक रूप से मजबूत बनती है तब देश के कार्यों को सुचारित करने में और उनके सुधारों में गति लाने में सहायता मिलेगी.

एफएटीसीए के कानून का भारत में प्रस्ताव और उसका अनुपालन (FATCA compliance India)

एफएटीसीए के नियमों को मानकर उसके कानून में बदलाव कर भारत के बैंको में विदेशी व्यक्तियों की जमा पूंजी और सम्पति के बारे में सूचनाये ली जा सकेगी. अमेरिका के साथ वार्तालाप कर आर बी आई ने इस निर्णय को लेकर भारत के वित् क्षेत्र में इसे लागु करने के बारे में सोचा है. एफएटीसीए समझौते के तहत 30 सितम्बर से भारत और अमेरिका एक दुसरे से सूचनाओं का आदान प्रदान करेंगे. एफएटीसीए पर राजस्व सचिव शक्तिकांत दस और रिचर्ड वर्मा जो कि अमेरिका के राजदूत है ने हस्ताक्षर किये.

एफएटीसीए कानून के तहत सभी वितीय संस्थानों को इस कानून का अनुपालन करते हुए सरकार को एक अतिरिक्त निवेशक जानकारी देनी होगी जिसको सरकार द्वारा सीआरएस अर्थात आम रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड के अंतर्गत कर के मामलों में संयुक्त प्रसासनिक सहायता के तहत सरकार को सुचना मिल सकेगी.

एफएटीसीए के अनुपालन फॉर्म को भरने के लिए आवश्यक जानकारी (FATCA compliance form filing requirements

जो भी भारतीय निवेशक या कोई भी नए या पुराने निवेशक अगर निवेश करने की सोच रहे है, जैसे कि एफडी में या म्युचुअल फण्ड में से नई खरीद की तो उन्हें जनवरी 2016 से एक अतिरिक्त केवाईसी की आवश्यकता पड़ेगी, एफएटीसीए या सीआरएस में अपने निवेश के प्रमाण को दर्ज कराने में. मानव अधिकार कानून के तहत किसी भी व्यक्ति या व्यापारी के निजी जानकारी का सार्वजनीकरण नहीं किया जायेगा इस अधिनियम में ऐसा प्रावधान रखा गया है.

एफएटीसीए में विवरण दर्ज करने के तरीके (FATCA registration)

एफएटीसीए या सीआरएस विवरण को खुद जा कर या ऑनलाइन के माध्यम से दर्ज कराया जा सकता है. अगर इसे खुद कराने की सोच रहे है तो एफएटीसीए का एक फॉर्म मिलता है जो की म्युचुअल फण्ड कंपनी की वेबसाइट या सर्विस सेंटर या एएमसी कपनियों में उपलब्ध है, जिस पर हस्ताक्षर करके इन कंपनियों के पास जमा करना होता है.

ऑनलाइन रूप में एफएटीसीए के अंतर्गत फॉर्म को पंजीकृत करने के लिए अपने रजिस्ट्रार और ट्रान्सफर एजेंट के माध्यम से आप अपने रजिस्टर्ड इ-मेल या मोबाइल में अपने पैन कार्ड के पिन नम्बर का उपयोग इससे पंजीकरण करा सकते हैं.

एफएटीसीए फॉर्म भरने की आवश्यकता (FATCA form filing requirements)

इस फॉर्म के माध्यम से भारत में आपके निवास की स्थिति का पता चलता है. जो भी दस्तावेज आपसे जमा कराया जाता है, जैसे की आपके पैन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आई डी कार्ड, आधार कार्ड तथा किसी भी सरकार के द्वारा जारी किये गये आई डी कार्ड, जोकि आपको पंजीकरण कराने के लिए जरूरी है उससे आपके जन्म, स्थान, व्यवसाय, आय के विवरण के साथ ही आपकी सभी जानकारी, विदेशों में निवेश के लिए आपकी कर पहचान की संख्या सब का पता चल जाता है. यदि आपके पास टैक्स देने का कोई भी विवरण नहीं है, तो आपको इसकी पूरी जानकारी पुरे विवरण के साथ व्याख्यित करना पड़ेगा.

एफएटीसीए के अंतर्गत आने वाले यूनाइटेड स्टेट के व्यक्ति (Under FATCA who is specified as a US person)

एफएटीसीए अधिनियम उन सभी व्यक्तियों को प्रभावित करेगा जोकि एक यूनाइटेड स्टेट कर अधिनियम के अंतर्गत आते है. जिनमे शामिल है कंपनियों के साथ निवेशक और कंपनी को चलाने वाले मालिक साथ ही जो भी इससे लाभ उठाते है. अगर कोई अमेरिकी व्यक्ति के विदेशों में निवेश है और विदेशी खाते है तो उनकी पहचान के लिए.

एफएटीसीए अधिनियम का अनुपालन न करने पर दंड (FATCA penalties for noncompliance)

अगर कोई भी वितीय संस्थान सूचनाओं का आदान प्रदान नहीं करता है तो अमेरिका द्वारा उस कंपनी या निवेशकों या इससे जुड़े व्यक्ति पर कारवाई होगी, जिसमे उस कम्पनी या निवेशक या व्यक्ति को अमेरिकी राजस्व पर 30 % का जुर्माना देना पड़ेगा.

अंततः एफएटीसीए अधिनियम के माध्यम से काला धन जमा करने का बाजार रुक जायेगा, क्योकि सभी बैंक, इंश्योरेंस, स्टॉक मार्केट में जो भी ब्रोकिंग होगी, म्युचुअल फण्ड इत्यादि सभी की जानकारी अमेरिका और इस समझौते के तहत जुड़े देश एक दुसरे के साथ जानकारी साझा करेंगे. इस वजह से सरकार की सबसे बड़ी नीति देश में काले धन को लाने की मुहीम को गति मिलेगी.

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